Thursday 27 September 2018

The Story of Two Stones (Collected)


एक बार एक प्रदेश में एक मूर्तिकार रहता था। वह मूर्तिकार पत्थरों से बहुत ही सुंदर मूर्तियां बनाया करता था। एक दिन उसने मूर्ति बनाने के लिए अच्छे पत्थर की खोज में जंगल जाने का सोचा। उसके अगले ही दिन वह मूर्तिकार अपने मूर्ति बनाने के औज़र्रों के बक्से के साथ जंगल की ओर निकल पड़ा।

जब वह जंगल के मध्य भाग में पहुंचा तो उसने एक पेड़ के नीचे एक बड़े सुन्दर पत्थर को देखा। मूर्तिकार को वह पत्थर मूर्ति बनाने के लिए सही लगा। उसके बाद मूर्तिकार ने अपने औजारों को बक्से से निकाल लिया और उसने उस पत्थर के ऊपर औजारों से ठोक-ठोक कर मूर्ति बनाना शुरू किया। 

जैसे ही मूर्तिकार ने उस पत्थर पर ठोकना शुरू किया, वह पत्थर जोर-जोर से चिल्लाने लगा और वह बोलने लगा ठोकना बंद करो – मुझे बहुत ही दर्द हो रहा है। यह देख कर मूर्तिकार रुक गया और उस पत्थर से मूर्ति बनाए बिना दूसरे पत्थर की खोज में आगे निकल पड़ा।

कुछ दूर जाने के बाद मूर्तिकार ने दोबारा एक सुंदर पत्थर को देखा। पत्थर को देखने के बाद दोबारा मूर्तिकार ने अपने औजारों का बक्सा खोला, औजार निकाले और उस पत्थर पर भी ठोक-ठोक कर मूर्ति बनाना शुरू किया। जैसे ही उस मूर्तिकार ने मूर्ति बनाना शुरू किया उस पत्थर को भी दर्द हुआ परंतु उसने उस दर्द को सह लिया और वह मूर्तिकार एक सुंदर भगवान की मूर्ति बनाने में सफल हुआ।

मूर्ति बनाते-बनाते रात हो चुकी थी इसलिए मूर्तिकार पास के एक गांव में रात गुजारने के लिए चले गया। जब सुबह हुआ तो उसने देखा कि वहां एक सुंदर सा देवी माँ का मंदिर बनाया गया है और मंदिर के बाहर बहुत सारे लोग बातचीत कर रहे हैं। तभी वह मूर्तिकार उस गांव के एक व्यक्ति से पूछता है – क्यों भाई मंदिर के बाहर इतना भीड़ क्यों है? वउस व्यक्ति ने उत्तर दिया कि मंदिर तो बन चूका है परंतु मूर्ति कहां से लाया जाए उसके बारे में यहां चर्चा चल रहा है।

तभी मूर्तिकार उस गांव के सरपंच से मिलता हैं और बताता है कि उसने पिछले ही दिन एक देवी माँ का सुंदर सा मूर्ति बनाया है और अगर गांव वाले चाहे तो उस देवी मां की मूर्ति को अपने मंदिर में स्थापित कर सकते हैं। सरपंच और गांव वाले मूर्तिकार की बात से बहुत ही खुश हुए और उन्होंने जंगल से उस मूर्ति को लाकर अपने गांव के मंदिर में स्थापित किया।

सभी लोग बहुत खुश थे परंतु उसी समय सरपंच के मन में एक सवाल उत्पन्न होता है की नारियल फोड़ने के लिए भी एक पत्थर की आवश्यकता है। यह सुनते ही मूर्तिकार सरपंच को बताता है की जंगल के दूसरी ओर पेड़ के नीचे एक और पत्थर रखा है जिसे आप चाहो तो नारियल फोड़ने के लिए मंदिर में रख सकते हैं। यह सुनने के बाद गांव वाले जंगल में गए और वहां से वह पहला पत्थर भी उठा लाए।

उसी दिन से उस मंदिर में मूर्तिकार द्वारा बनाए गए देवी मां मूर्ति की पूजा होने लगी और दूसरी ओर उस पहले पत्थर पर सभी लोग पुजा के लिए लाए हुए नारियल को फोड़ने लगे। उस पत्थर को अब हर दिन नारियल फोड़ने के दर्द को सहना पड़ता था। उस पत्थर ने देवी मां के मूर्ति को दुखी हो कर कहा – तुम्हारी किस्मत कितनी अच्छी है कि लोग तुम्हें पूज रहे हैं और मेरे ऊपर सभी लोग नारियल फोड़ रहे हैं।

तभी देवी मां वाले पत्थर की मूर्ति ने जवाब दिया-  मैं भी तुम्हारे जैसे एक पत्थर ही थी लेकिन मैंने मूर्तिकार के द्वारा मूर्ति बनाते समय सभी दुख कष्ट को सहन कर लिया और आज मैं इस जगह पर हूँ। उस पहले वाले पत्थर को अपनी गलती का एहसास हुआ पर अब बहुत देर हो चुकी थी।

कहानी से शिक्षा : 
जीवन में सफलता पाने के लिए हमें कठोर परिश्रम की जरूरत होती है। बिना दुख कष्ट के कभी भी सफलता प्राप्त नहीं होती। 

Source 
https://www.1hindi.com/story-of-two-stones-in-hindi/

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